भारत नहीं पाकिस्तान ने दिया था मिल्खा सिंह को 'फ्लाइंग सिख' का नाम

By: Pinki Sat, 19 June 2021 10:16:46

भारत नहीं पाकिस्तान ने दिया था मिल्खा सिंह को 'फ्लाइंग सिख' का नाम

पूर्व भारतीय लीजेंड स्प्रिंटर मिल्खा सिंह का रात 11:30 बजे निधन हो गया है। वे 91 साल के थे। उनका निधन कोरोना की वजह से हुआ। 20 मई को उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। मिल्खा सिंह का चंडीगढ़ के PGIMER में 15 दिनों से इलाज चल रहा था। उन्हें 3 जून को ऑक्सीजन लेवल गिरने के कारण ICU में भर्ती कराया गया था। दिन पहले उनकी पत्नी निर्मल कौर का पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशंस के कारण निधन हो गया था। बता दे, मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर 1929 को गोविंदपुरा (जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है) के एक सिख परिवार में हुआ था। विभाजन के बाद खेल और देश के प्रति बहुत लगाव था, इस वजह से भारत भाग आए और भारतीय सेना में शामिल हो गए। कुछ वक्त सेना में रहे लेकिन खेल की तरफ झुकाव होने की वजह से उन्होंने क्रॉस कंट्री दौड़ में हिस्सा लिया। इसमें 400 से ज्यादा सैनिकों ने दौड़ लगाई। मिल्खा 6वें नंबर पर आए।

3 जून को कराया गया था ICU में भर्ती

मिल्खा सिंह और उनकी पत्नी 20 मई को कोरोना संक्रमित पाए गए थे। 24 मई को दोनों को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 30 मई को परिवार के लोगों के आग्रह पर उनकी वहां से छुट्टी करवा ली गई थी और कुछ दिनों पहले ही वे घर लौटे थे। तब से उनका घर पर ही इलाज चल रहा था। इसके कुछ दिन बाद उनकी तबीयत फिर खराब हुई और ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा था। 3 जून को उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। PM मोदी ने 4 जून को फोन पर बात कर मिल्खा सिंह से नसे स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी। PM ने कहा था कि मिल्खा टोक्यो ओलिंपिक में भाग लेने वाले एथलीटों को आशीर्वाद देने और प्रेरित करने के लिए जल्द ही वापस आएंगे।

मिल्खा सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने शोक जताते हुए कहा, 'मिल्खा सिंह जी के निधन से, हमने एक महान खिलाड़ी खो दिया है, जिसने देश की कल्पना पर कब्जा किया था और अनगिनत भारतीयों के दिलों में उनका एक विशेष स्थान था। उन्होंने अपने प्रेरक व्यक्तित्व ने खुद को लाखों लोगों का प्रिय बना दिया। उनके निधन से आहत हूं। अभी कुछ दिन पहले ही मेरी मिल्खा सिंह जी से बात हुई थी। मुझे नहीं पता था कि यह हमारी आखिरी बातचीत होगी। कई नवोदित एथलीट उनकी जीवन यात्रा से ताकत हासिल करेंगे। उनके परिवार और दुनिया भर में कई प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।'

इस तरह मिला फ्लाइंग सिख नाम

मिल्खा सिंह पाकिस्तान में आयोजित एक दौड़ के लिए गए। इसमें उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। उनके प्रदर्शन को देखकर पाकिस्तान के जनरल अयूब खान ने उन्हें 'द फ्लाइंग सिख' नाम दिया।

पद्मश्री से किया गया सम्मानित

1956 में मेलबर्न में आयोजित ओलिंपिक खेल में भाग लिया। कुछ खास नहीं कर पाए, लेकिन आगे की स्पर्धाओं के रास्ते खोल दिए। 1958 में कटक में आयोजित नेशनल गेम्स में 200 और 400 मीटर में कई रिकॉर्ड बनाए। इसी साल टोक्यो में आयोजित एशियाई खेलों में 200 मीटर, 400 मीटर की स्पर्धाओं और राष्ट्रमंडल में 400 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक जीते। उनकी सफलता को देखते हुए, भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया।

न पैरों में जूते थे न ही ट्रैक सूट था

रोटरी क्लब के इवेंट ब्लेसिंग में मिल्खा सिंह ने कहा था- 'नहीं जानता था कि ओलिंपिक गेम्स होते क्या हैं, एशियन गेम्स और वन हंड्रेड मीटर और फोर हंड्रेड मीटर रेस क्या होती है? मिल्खा सिंह तब दौड़ता था जब पैरों में जूते नहीं होते थे। न ही ट्रैक सूट होता था। न कोचेस थे और न ही स्टेडियम। उन्होंने कहा था कि मैं 90 साल का हो गया हूं, दिल में बस एक ही ख्वाहिश है कोई देश के लिए गोल्ड मेडल एथलेटिक्स में जीते। ओलंपिक में तिरंगा लहराए। नेशनल एंथम बजे। मुझे दुख इस बात का है कि अब तलक कोई दूसरा मिल्खा सिंह पैदा नहीं हो सका।'

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